Monday, January 18, 2010

"माँ के आँचल में सिमटने जा रहा हूँ"

परीक्षाएँ ख़त्म हुईं और छुट्टियाँ  होने को हैं,यानि घर जाने का समय आ गया है,जिसका इंतजार हम छात्रावासी बेसब्री से किया करते हैं. सोचा चलते-चलते एक पोस्ट करता चलूं;आप जबतक इसे पढेंगे और कमेन्ट देंगे तबतक छुट्टियाँ बिताकर पुनः  आपलोगों के समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा.
घर का नाम लेते ही सबसे पहले  माँ की याद आती है और फिर उनसे जुड़ी ढेर सारी बातें.बीते दिनों की ढेर सारी बातें जो उन्हें बतानी होती है और फिर ढेर सारी वो बातें जो उनसे पूछनी होती है????????????????
घर जाने से पहले की कुछ ऐसी ही भावनावों को मैंने पंक्तिबद्ध किया है जो कुछ ऐसे बन पड़ी हैं...........................


                                              
                                       "छुट्टियों का आनंद लेने के लिये
                                         शहर से कुछ दूर होने जा रहा हूँ
                                           आज माँ के लिये फिर से है दिल में प्यार उमड़ा
                                              उनकी आँचल में सिमटने जा रहा हूँ"

                                        
                                          

        रामायण,भागवत,गीता वाले घर में माँ न हमको पाला है
        सीधे सपाट जीवन दर्शन में उनने हमको ढाला है
        अब जब छल करती है दुनिया आँखे मेरी भर जाती हैं
        बातें जब काँटों सी चुभती माँ बरबस याद हो आती हैं
        जख्म दिया है किसी बात ने वो जख्म धुलाने जा रहा हूँ
आज माँ के लिये फिर से दिल में प्यार उमड़ा,उनकी आँचल में सिमटने जा रहा हूँ"

   याद आ रहे हैं वो दिन जब थक कर  स्कूल से आते थे
   रास्ते में आँखे बिछाए माँ के गोद में आ पड़ जाते थे
   रास्ते की दूरी,पेन्सिल की चोरी,मास्टर की डांट सुनाते थे
   माँ कहती कोई बात नही और सबकुछ भूल हम जाते थे
   यादें  हो रही हैं धूमिल उन्हें  प्रशस्त  करने जा रहा हूँ
आज माँ के लिये फिर से दिल में प्यार उमड़ा,उनकी आँचल में सिमटने जा रहा हूँ"


   रामू काका की निश्छल बातें,बरगद का भूत सताती रातें
    नौटंकी करते चाचाजी,वो चुन्नू भैया हँसते गाते
    बच्चों की अपनी वो टोली,खेला करते थे जिनके संग होली
    वो सामने वाले बाबाजी,छिपाया करते थे जिनकी हम झोली
    फोन पे सबने याद किया है,उनकी सुनने जा रहा हूँ
माँ के लिये फिर से दिल में प्यार उमड़ा,उनकी आँचल में सिमटने जा रहा हूँ



    माँ के गुस्सा होने पे हम भाई-बहन पिट जाते थे
    माँ से दूरी कर लेते थे,फिर उनके पास न जाते थे
    जब उनकी ममता जगती थी,खुद ही पास वो आती थीं
    तब वो खुद रो रोकर हमको कुछ और रुलाती थीं
    कल मुझे रुलाकर हंसा है कोई,ये बात बताने जा रहा हूँ
माँ के लिये फिर से दिल में प्यार उमड़ा,उनकी आँचल में सिमटने जा रहा हूँ



       "जिन लोगों ने है प्यार दिया,उनने है  कुछ उम्मीद किया
         उम्मीदें उनकी बनी हुई  हैं विश्वास  दिलाने  जा  रहा हूँ
छुट्टियों का आनंद लेने के लिये,ब्लॉग जगत से कुछ दूर होने जा रहा हूँ
आज माँ के लिये फिर से दिल में प्यार,उनकी आँचल में सिमटने जा रहा हूँ"



(आज के लिये बस इतना ही,अगली पोस्ट घर से लौट कर आने पर..............................)
"धन्यवाद"




Wednesday, January 13, 2010

"नूतन वर्ष मंगलमय हो"

आज सबसे  पहले तो "सब नू लोहड़ी दी लख लख बधाइयाँ". सेमेस्टर exam के वजह से नव वर्ष कि बधाइयाँ  नही दे सका हूँ, जिसके लिये आज उपस्थित हूँ.
       "देर    से  दुरुस्त   देने के लिये , सुस्त   को कुछ चुस्त देने के लिये,
      नव ऊर्जा का संचार करने के लिये,मै आ गया नव वर्ष कि बधाई लिये"

                                    "अलविदा २००९,स्वागत २०१०" 
                                                                                           "नूतन वर्ष मंगलमय हो"
                     http://nousha.files.wordpress.com/2006/12/new-year.JPG                                               
                                                    "नूतन वर्ष मंगलमय हो"
फोन कॉल,मेल,मैसेज आदि कुछ ऐसे माध्यम हैं जिनके द्वारा नव वर्ष कि बधाइयाँ लगभग सबतक पहुँच चुकी हैं लेकिन ब्लॉग के माध्यम से Think more.............
                  "अब तक बधाइयों का सिलसिला थोड़ा  गर्म था
                  कविता अबतक शांत थी और कवि अभी तक मौन था
                  अब जब सबकुछ शांत है बधाइयाँ प्रेषित कर  रहा हूँ
                  न प्रत्यक्ष तो शब्द से ही खुशियों कि झोली भर रहा हूँ.

"आगत का स्वागत करें जोश से, गत को रखकर जेहन में
इस उदिशा संग संकल्प करें और, ऊर्जा भर लें तन मन में
आने वाला कल अपना है,जो कल तक का अपना सपना है
अवरोध  हटाने को सारे, आल इज वेल अब हमको जपना है"

ब्लॉग के माध्यम से शुभकामनायें  देने की ये शुरुआत है और उम्मीद करता  हूँ कि ये कुछ ऐसे ही जारी भी रहेगी लेकिन इस शुभकामना पोस्ट में आने वाले वर्षों के लिये भी शुभकामनाएँ इन शब्दों में.............

                                      "मै पवन हूँ ,हूँ हवा का एक झोंका,
                                       कबतलक मै साथ में चलता रहूँगा,
                                       हर वर्ष की बधाइयाँ इस वर्ष ले लें,
                                      जबतक है जीवन दुआ मै करता रहूँगा.

अपने से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों के साथ-साथ  सम्पूर्ण विश्व के सुख-शांति और समृद्धि के लिये बहुत सारी शुभकामनाएँ...................................
http://www.mamarocks.com/NewYearAnimals.jpg