देर से ही सही समस्त भारत वासियों को गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं.सफ़र के साथ कदमताल करते हुवे आज हम अपना ६१ वाँ गणतंत्र दिवस भी मना चुके. बीते ६१ वर्ष संघर्षों,परेशानियों के साथ-साथ उपलब्धियों के वर्ष भी रहे और हमारे दिलो दिमाग में ढेर सारी उम्मीदों का सृजन कर गये जिन्हें साकार करने के लिये हम निरंतर आगे बढ़ते जा रहे हैं.....
हर बार की तरह इस बार भी गणतंत्र दिवस को कुछ काम करने के उद्देश्य से लेखनी ने दौड़ लगाई, लेकिन इस बार न जाने क्यों इसने कुछ दुस्साहसी काम कर डाला. मै तो हर बार इससे अपनी ही कहलवाता रहा लेकिन इस बार इसने मेरी एक न सुनी और पडोसी पाकिस्तान के लिये कुछ ऐसी बात कह डाली.......................
नापाक इरादे रखते हो और पाक कहे तुम जाते हो
विचलित रहा है पथ खुद का और हमको भ्रमित बनाते हो
कहता यदि मै आतंकी तो उल्टी ऊँगली दिखलाते हो
क्या समझा है तुमने हमको जो नित-नित हमको भरमाते हो
हम सहते हैं,चुप रहते हैं, ना कहते हैं आखिर कबतक ??????????
तुम यदि हद को पार किये विकल्प कहो तब क्या होंगे
सोचो तब तेरा क्या होगा जब हम भी अपने पर होंगे
पाकी साकी को छोडो तुम है वक्त अभी भी जग जाओ
कर्म करो न कुछ ऐसा जो खुद ही खुद पे तुम शर्माओ
इतना ही नही इसने तो कुछ ऐसा भी कह डाला.................................
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वह दिवस जिसके लिये देनी पड़ी कुर्बानियां
वह दिवस जिसके लिये झेलनी पड़ी विरानियाँ
वह दिवस जिसके लिये किसी ने सपने संजोये रात-दिन
वह दिवस जहा से शुरू हुआ अपना सुदिन
गुजर गया एक वर्ष आ गया है फिर वह दिवस
आज हम एकत्रित हैं जिस दिवस पर
भाषणबाजियों के लिये यही दिवस
कसमे खाने को यही दिवस
हुई है छुट्टी मिली है मुक्ति
आराम फरमाने को है यहीं दिवस
पर सोचें थोड़ा उनके लिये भी....................
सपने के लिये जिनने अपनों को छोड़ दिया
उजड़ा सुहाग सुनी हुई गोदें फिर भी आंसू को रोक लिया
भ्रस्टाचारी है समाज और स्वेच्छाचारी नेता हैं
षड्यंत्रकारी है पडोसी अपना अक्सर घाव जो देता है
घर बैठे हम सोचा करते, T.V पर देख रो लेते हैं
कट जाए चाहे जैसे जीवन थोड़े में खुश हो लेते हैं
वक्त है कम दो शब्द कहूँ जो हैं फौलादी
आतंकवाद,अशिक्षा,बढती आबादी
रोक सकें तो रोकें नही तो निश्चित बर्बादी
आज चलते-चलते भारत के साथ-साथ समस्त भारत वाशियों के लिये यही कहना चाहूँगा कि
"तेरी जय हो,विजय हो"