पिछले दिनों दैनिक-Stroke के नाम से प्रतिदिन
के खास समाचारों को कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर लगाने कि एक अच्छी शुरुआत की गई. इसके लिये द्वितीय,तृतीय और चतुर्थ वर्ष के छात्रों को लेकर बनाई गई पाँच सदस्यीय टीम का एक सदस्य मै भी हूँ. पहले ही दिन पढ़ने वालों का काफी अच्छा support मिला. इस बीच कुछ लोगों ने सम्पादकीय पन्नों को हिंदी में देने का सुझाव दिया. सामान्यतः अंग्रेजी में मिलने वाली जानकारियों को हिंदी में लिखना, उसे अंग्रेजी में लिखने से थोड़ा ज्यादा मेहनत का काम था और फिर ऐसे में सप्ताह के सातों सम्पादकीय पन्ने हिंदी में देना संभव नही था.लेकिन जनता की मांग पर सप्ताह के दो सम्पादकीय हिंदी में देने का निर्णय लिया गया. दैनिक-Stroke के लिये मेरे द्वारा लिखे सम्पादकीय पन्नों में से कुछ एक को यहाँ भी पोस्ट करता रहूँगा. हिंदी का पहला सम्पादकीय पन्ना मैंने फिर से शुरू हुए महाप्रयोग पर The Hindu और BBC हिंदी से मिली जानकारियों के आधार पर तैयार किया जिसे आज यहाँ भी पोस्ट कर रहा हूँ..........................
सितम्बर २००८ में बंद हो गये Large Hadron Collider ने एक बार फिर से अपना काम करना शुरू कर दिया है. इतिहास के इस प्रयोग से काफी उम्मीदें हैं और विज्ञान के क्षेत्र में ढ़ेर सारी नई खोजों की उम्मीद भी की जा रही हैं.
क्या है ये?:
अबतक का सबसे बड़ा प्रयोग माने जाने वाले इस महाप्रयोग के लिये Switzerland और फ़्रांस की सीमा पर अरबों डॉलर लगाकर पिछले २० साल में दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला स्थापित की गई. प्रयोग के लिये बनाई गई मशीन जिसे हम Big Bang Machine के नाम से जानते हैं पर काम करने वाले वैज्ञानिक प्रोटॉन के कणों को एक साथ टकराने की कोशिश करेंगे जो इससे पहले कभी नहीं किया जा सका.वैज्ञानिको का मानना है कि इससे प्रकृति और ब्रम्हाण्ड के कुछ रोचक रहस्यों को खोलने में मदद मिलेगी की आखिर इसकी उत्पत्ति कैसे हुई.
कैसे होगा प्रयोग?:
European Centre for Nuclear Research(CE RN) पर लगभग ८० कुशल वैज्ञानिकों के समूह द्वारा किया जाने वाला यह प्रयोग पिछले साल शुरू हुआ था लेकिन तकनीकि खराबी के कारण इसे रोक दिया गया था. विशाल हेड्रन Collider में एटम्स को लगभग सात ख़राब एलेक्ट्रोन वोल्ट के टकराव के साथ शुरू होगा और ये १८ से २४ महीनों तक जारी रहेगा. इस पूरे महाप्रयोग के जरिये मिलने वाली जानकारी से पृथ्वी की उत्पत्ति की Big Bang theory को समझने में भी मदद मिलने की उम्मीद की जा रही है. इस प्रयोग के लिये प्रोटोनो को २७ किलोमीटर लम्बी गोलाकार सुरंगों में दो विपरीत दिशाओं में भेजा जायेगा और वैज्ञानिकों के अनुसार ये एक सेकेण्ड में ग्यारह हजार से भी अधिक परिक्रमा पूरी करेंगे. इस प्रक्रिया के दौरान कुछ विशेष स्थानों पर आपस में टकरायेंगे. अनुमान लगाया गया है कि इस दौरान प्रोटोन के टकराने कि लगभग ६० करोड़ से भी ज्यादा घटनाये होंगी जिन्हें दर्ज किया जायेगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस दौरान १०० मेगाबाईट से भी ज्यादा आंकड़े एकत्रित किये जा सकेंगे.वैज्ञानिकों ने यह सूचना भी दी है कि इस महाप्रयोग से हासिल होने वाले आंकड़ों के अध्ययन में समय लगेगा और लोगों को तुरंत नतीजे कि उम्मीद नही रखनी चाहिए. महाप्रयोग के प्रवक्ता गुइडो टोनेली ने इस सम्बन्ध में कहा की " मुख्य खोज उसी समय सामने आएगी जब हम अरबों घटनाओ को पहचाने और विशेष घटना नजर आए जो पदार्थ का नया आयाम पेश करे". उन्होंने BBC को बताया कि " यह कल ही नहीं होने वाला है इसके लिये महीनों और वर्षों के धैर्य पूर्ण काम की ज़रुरत है". धैर्य रखे और उम्मीद करें की वैज्ञानिकों का यह प्रयास सफल हो ताकि हमें ब्रम्हांड के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल सके.
धन्यवाद"