Sunday, September 5, 2010

"शुभकामनायें और कुछ और भी"

आज कुछ लिखने की शुरुआत करने से पहले सभी शिक्षकों को इस दिवस की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं. सबसे पहले तो डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन  सरीखे  लोगों  के  लिये  लिखी अपनी  ये  पंक्तियाँ  लिखता  चलूँ कि..............

कल भी  कुछ  कर गये थे वे  , वे अब   भी   कुछ  कर जाते हैं                                       
कल काम से कुछ कर गये थे वे अब नाम से कुछ कर जाते हैं.           
किसी पोस्ट के माध्यम से तो नहीं लेकिन मुझे ऐसा लगा की अशोक  चक्रधर  जी का  सीधा -साधा  पात्र  चकरू   नई  शिक्षा   व्यवस्था  को देखकर  भी जरुर  चकरा जाता होगा. इस बार  चकरू की परेशानियों को मैंने कुछ ऐसे सामने लाने का प्रयास किया है.................
क्यों    न       चकरू       चकराए            चक्रधर     भाई
नई शिक्षा व्यवस्था     में  है     नई       बीमारी       आई
है नई बीमारी आई दीखते  सब     पीड़ित   हैं     भाई
कही छात्र लिये बैठे सिगार और कही गुरु कर रहे पढाई

चकरू चतुर हैं रहे नहीं, न चिकनी बात कभी है बनाई
दुनियादारी    और    छल    कपट    इनको   नहीं    सुहाई
है इनको नहीं सुहाई    अतः    बात     सीधे   है    बताई
दोनों मिलकर दे सकते जग को नव ऊर्जा और तरुणाई

कहें हर्ष सहर्ष सुनें सब गुरुजन, प्रियजन और भाई
गुरु    रहेगा    गुरु,    शिष्य-शिष्य     रह       जाई
अपनी-अपनी सीमा की पहचान जो इनको आई.
समय और वातावरण से तो ताल्लुक नहीं रखती लेकिन आज की लिखी हुई अपनी कुछ एक और पंक्तियाँ  भी  आज यहाँ लिखता चलूँ..................
भरे पेट         अपना            चाहे          जैसे    भी    हो
पता न चलता रोग कहाँ   और कैसी ये    लाचारी है,
दो समय की रोटी जुटा हीं पाना लक्ष्य यदि है जीवन का
तो फिर सच है की पशुओं का   जीवन भी हमपे    भारी है .
भारत और भारतीय सोच को दर्शाती ये पंक्तियाँ भी कि...........
बसा जो हो अपना   घर    तो हर घर       न्यारा  लगता है
प्यार जो हो अपने दिल में तो हर दिल प्यारा लगता है,
कुछ ऐसी हीं खास बात है हम    भारत    वासी   लोगों में
दुश्मन चाहे लाख      सताए    हमको     प्यारा      लगता है.

अंततः एक बार फिर से शिक्षक दिवस की ढ़ेर सारी शुभकामनायें. शिक्षक दिवस और हाल में ख़त्म हुए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से सम्बंधित फोटोग्राफ्स के लिये इंतजार कीजिये अगली पोस्ट का क्योंकि अभी पोस्ट कर पाना संभव नहीं हो पा रहा. आज के लिये बस इतना ही............
धन्यवाद"

2 comments:

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। आपकी कविताएँ अच्छी हैं। प्रयास जारी रखिए।

वीना श्रीवास्तव said...

शिक्षक दिवस की बधाई। अच्छी पोस्ट है...बधाई...