Monday, November 9, 2009

Together we can enable the disable

भारतीय चिकित्सा संस्थान द्वारा आयोजित सेमिनार (With moto में: Together we can enable the disable) शामिल होने के निमंत्रण की सूचना मुझे शुक्रवार को प्राप्त हुई. फिर तो उसके लिये तैयारी शुरू हुई. कुछ विशेष सक्रिय लोगों को इसकी जानकारी दी गई ताकि बात सबतक पहुँच सके और कल को कोई ये न कहे की मुझे तो इस बात का पता ही नहीं चला सका . 
                                        छुट्टी का दिन ढेर सारे कामों को न्योता दिए आता है जैसे होम वर्क करना,मूवी देखना,पुरे सप्ताह की नींद पूरी करना. ऐसे में कार्यक्रम जो की छुट्टी के दिन था को सफल बनाने के लिये थोड़े  परिश्रम की जरुरत थी. फिर क्या था एक दिन पहले ही  जाने वालो की लिस्ट बना ली गई, पोस्टर्स तैयार कर लिये गए. फिर कल का दिन भी आ गया जिस दिन हमलोगों को सेमिनार  में जाना था.
           जब से यहाँ हॉस्टल में हूँ रविवार को फ्रेश होने के बाद कैम्पस में थोडी देर तक टहलने की आदत है. कल जब कुछ तो टहलने के मूड से और कुछ ये जानने के मूड से की लगभग कितने लोग जाने के मूड में हैं निचे आया तो  कानाफूसी के बिच से उठे एक सवाल ने मुझे स्तब्ध कर दिया......
आज तो मूवी देखने जाना है , और फिर लैंडमार्क में लंच है !
मैंने पूछा तुम्हे किसने बताया ?
सर वो कल्चरल वाले पवन सर ने?
मै तो कुछ और भी परेशान हो गया! अरे यार पवन सर तो मै ही हूँ लेकिन मैंने तो ऐसा कुछ नहीं कहा? वैसे तुम्हे किसने बताया ?
सर अमरनाथ ने.
ये अमरनाथ कौन है? मैंने उसे बुलवाया. क्यों भई मैंने तुम से कब कहा कि...........
सर वो ये लोग जाने को तैयार नही होते सो मैंने ऐसा कह दिया.....सर .........
ठीक है कोई बात नहीं. (मेरे चेहरे पर हर्ष और विष्मय दोनों का चिन्ह एक साथ देखा जा सकता था).
वैसे मैंने यथा स्थिति से उन लोगों को अवगत कराकर अपने रूम में चला गया. पूर्व  नियोजित समय के अनुसार बस के.आई.टी. से एस.के.एस सर,पी.के.मिश्रा सर और हम ६२ स्टूडेंट्स के साथ रवाना हुई. गेट से निकलते ही तरह -तरह के जय घोशों से वातावरण गुंजायमान होने लगा. वहा कार्यक्रम शुरू होने से कुछ देर पहले ही हम लोग पहुँच गए और फिर यथोचित स्थान पर बैठ क्रायक्रम के शुरू होने का इंतजार करने लगे. वैसे इंतजार की घड़ियां कम ही थी और मुख्य अतिथि शहर के सांसद प्रकाश जायसवाल   सही समय पर उपस्थित हो गए. पारंपरिक विधि के अनुसार दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई. स्वयं प्रकाश जायसवाल ,सलिल विष्नोई,पंकज कपूर,सुन्दरम भार्गव,अनिल वर्मा (हमारे कॉलेज के संस्थापकों में से एक ,जिनकी वहाँ उपस्थिति ही हमारे उपस्थिति का कारण बनी) आदि ने अपने सुझाव परक और बहुमूल्य विचारों से सबको संबोधित किया. यहाँ विकलांग लोगों के लिये बनी एक खास साईकिल का प्रदर्शन भी किया गया.  डी.पी.एस के एक विकलांग छात्र द्वारा म्यूजिक सिस्टम पर प्रस्तुत किया गये  गाने (ऐसी शक्ति हमें  देना दाता,मन का विश्वाश कमजोर हो न...........)ने वहा उपस्थित लोगों के बीच आत्म चिंतन की मनः स्थिति उत्पन्न कर गया. अंततः सेमिनार ने यहाँ उपस्थित लोगों तक अपना मोटो Togethar we can enable the disable को पहुँचाने में सफल रहा. अब समय रैली का था. रैली के बाद रिफ्रेशमेंट की व्यवस्था थी. पुनः हम लोग बस में सवार हुए और वापस कॉलेज आ गए.(सेमिनार से सम्बंधित photos अभी अपडेट नहीं कर पा रहा, वैसे इसे जल्द से जल्द अपडेट करने का प्रयास करूँगा) 
धन्यवाद.


3 comments:

Unknown said...

nice pawan ji,plz continue,i like your blog and your way of writing,but there is some need of improvement,and plz add some thing related to college,some masti.............congratulation for a new start

Rakyesh Meena said...

kiya baat hai pawan ji............
kiya baat hai..........


keep on...keep on continue...........

Admin said...

this is nice work. i really apriciate your work and i wish to see your latest one in magazines.