Sunday, January 30, 2011

ये भ्रष्टतंत्र खटकता है


पिछले दिनों के घटनाक्रम पे जब नजर डालता हूँ तो कुछ बातों को लेकर थोड़ा असहज महसूस करता  हूँ .....
एक तरफ देश को आजादी दिलाने वाले महापुरुषों को याद किया जाना
और फिर देश के किसी राज्य में शांति के लिए फरीयाद    किया  जाना
विश्व के बड़ी अर्थव्यवस्था में नाम का आना 
और फिर किसी गरीब का भूखे पेट सो जाना 
विश्व का सबसे बड़ा गणतंत्र कहलाना 
और फिर देश में झंडा फहराए जाने से कतराना
एक ईमानदार अधिकारी का  जिन्दा जलाया जाना 
और फिर से एक मसले का न्यायलय तक आ जाना.    

जब देश और    समाज         को         टटोलता हूँ
खुशफहमी की पोटली को जब रोशनी में खोलता हूँ
लगता है की      सरेआम  लुटा जा रहा हूँ
देश का भविष्य सोच-सोच टूटा जा रहा हूँ
कुछ बोलने को होता हूँ तो मन में कुछ अटकता है
संसद से सड़क तक का      ये भ्रष्टतंत्र खटकता है
धन्यवाद"

Saturday, January 1, 2011

"नया वर्ष, नई उमंगें"



कल शाम जब २०१० अपने लाव लस्कर के साथ विदा होने को तैयार  था नया वर्ष २०११ कुछ नया लिए दस्तक देने की तैयारी  में लगा था. आज सुबह हुआ भी कुछ ऐसा ही, सुबह सामान्य से कुछ अलग लगी. इसने संजो रखे थे कुछ नया,कुछ अलग जो की बहुत अलग था कल से. एक तरफ २०१० कुछ पुरे तो कुछ अधूरे  सपनों के साथ विदा हुआ तो दूसरी तरफ एक नए वर्ष के रूप में २०११ एक बार फिर से एक नए जोश, नए उमंग और नए उत्साह का संचार कर कुछ नया कर गुजरने की सोच के साथ  उपस्थित हुआ.
                                           वैसे ये तो हर नए साल की कहानी है जो की कल के अधूरे रह गये सपनों को पूरा करने के लिए एक नई जाग्रति दे जाता है, और फिर से उठ खड़े होने के लिए एक नया जोश और नए  उमंग का संचार कर जाता है. तो फिर आइये खड़े हो जाइये एक उज्जवल कल के निर्माण के लिए, एक सुखद भविष्य के लिए, कुछ नया कर गुजरने के सपनों को सजोने और उसे पूरा करने  के हर संभव प्रयास  के लिए. सभी ब्लॉगर  बन्धुवों  और पाठकों के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत और फिर यूँ कहे की सम्पूर्ण विश्व के उज्जवल भविष्य के लिए अनंत असीम शुभकामनाएं. इंतजार है एक सुदृढ़, सशक्त  और संभावनावों से परिपूर्ण कल का,,,,,,,,,,,,,,,,
                        अबतक    बधाइयों   का    माहौल    थोड़ा    गर्म      था
                        कविता अभी  तक शांत थी कवि   अभी तक   मौन था
                        अब जब सब कुछ शांत है बधाइयाँ     प्रेषित कर रहा हूँ
                        न प्रत्यक्ष तो शब्दों से ही खुशियों की  झोली भर रहा हूँ 

(परीक्षाओं के बीच दो दिन के गैप ने आज एक पोस्ट लिखने का मौका दे दिया. परीक्षाएँ ख़त्म हों तो पोस्ट में कुछ नया  जोड़ने का प्रयास करूँगा तबतक के लिए बस इतना ही)
धन्यवाद"