Sunday, January 30, 2011

ये भ्रष्टतंत्र खटकता है


पिछले दिनों के घटनाक्रम पे जब नजर डालता हूँ तो कुछ बातों को लेकर थोड़ा असहज महसूस करता  हूँ .....
एक तरफ देश को आजादी दिलाने वाले महापुरुषों को याद किया जाना
और फिर देश के किसी राज्य में शांति के लिए फरीयाद    किया  जाना
विश्व के बड़ी अर्थव्यवस्था में नाम का आना 
और फिर किसी गरीब का भूखे पेट सो जाना 
विश्व का सबसे बड़ा गणतंत्र कहलाना 
और फिर देश में झंडा फहराए जाने से कतराना
एक ईमानदार अधिकारी का  जिन्दा जलाया जाना 
और फिर से एक मसले का न्यायलय तक आ जाना.    

जब देश और    समाज         को         टटोलता हूँ
खुशफहमी की पोटली को जब रोशनी में खोलता हूँ
लगता है की      सरेआम  लुटा जा रहा हूँ
देश का भविष्य सोच-सोच टूटा जा रहा हूँ
कुछ बोलने को होता हूँ तो मन में कुछ अटकता है
संसद से सड़क तक का      ये भ्रष्टतंत्र खटकता है
धन्यवाद"

3 comments:

sarvesh said...

achha hai yr ab to lag raha hai ki humlog jaishe yuvoa ko aage aana padega........
kyki ye bhastachar limit apni cross kar rahi hai..........
ज़िन्दगी है छोटी, हर पल में खुश रहो
Office में खुश रहो, घर में खुश रहो.
आज पनीर नहीं है, दाल में ही खुश रहो.
आज Zym जाने का समय नहीं मिला, दो कदम चल के ही खुश रहो.
आज दोस्तों का साथ नहीं, TV देख के ही खुश रहो.

घर जा नहीं सकते, तो फ़ोन करके ही खुश रहो.
आज कोई नाराज़ है, उसके इस अंदाज़ में ही खुश रहो.
जिसे देख नहीं सकते, उसकी आवाज़ मैं ही खुश रहो.
जिसे पा नहीं सकते, उसके याद मैं ही खुश रहो.
MBA करने का सोचा था, BE/BTech में ही खुश रहो.

LapTop ना मिला तो क्या, DeskTop में खुश रहो.
बीता हुआ कल जा चुका है, उसकी मीठी यादों में ही खुश रहो.
आने वाले पल का पता नहीं, सपनों में ही खुश रहो.
हँसते हँसते ये पल बिताएंगे, आज में ही खुश रहो.
ज़िन्दगी है छोटी, हर पल में खुश रहो.

Unknown said...

कुछ बोलने को होता हूँ तो मन में कुछ अटकता है
संसद से सड़क तक का ये भ्रष्टतंत्र खटकता है
सही कहा आपने,,,,,,,,,,,,,,,,

Unknown said...

kisi garib ka bhukhe pet so jana aur vishw ka sabse bada gantantra kahlana....... yahi hai hama bharat ki mahima....

kya baat kahu kisse kahu,
ye soch k dil ghabarata hai...
kuch kho kr v kuch pane ki,
kuch kr jane ki abhilasha hai......