Sunday, February 27, 2011

अविस्मरणीय रहा-Techno Cultural Fest-2011

 ढेर सारे तकनीकि और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को समेटे तीन दिवसीय  Techno Cultural Fest-2011 का कल समापन हो गया और साथ ही दे गया ढेर सारा अनुभव और कुछ ऐसी यादें जो की जीवन पर्यंत बनी रहेंगी. कार्यक्रम शुरू होने के पहले मैंने प्रतिदिन के कार्यक्रम की रिपोर्टिंग और उससे जुड़े Images और  Videos प्रतिदिन ब्लॉग पे पोस्ट करने का मन बनाया था,पर कार्यक्रम के दौरान की व्यस्तता की वजह से ऐसा संभव न हो सका.




पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार २४-०२-२०११ को इसका शुभारम्भ किया गया. पहले दिन के कार्यक्रम का समापन जर्मनी से आये बैंड फिरे on Dwsan के धमाकेदार प्रस्तुति के साथ हुआ. इवेंट का दूसरा दिन सबसे खास रहा. जैसा की पूर्वविदित था कि शाम को कुमार विश्वास की उपस्थिति आकर्षण का केंद्र बिंदु होगा,सुबह से ही सारी व्यव्स्थावों को दुरुस्त किया जाने लगा. जैसे-जैसे शाम ढलने को हुई विभिन्न कॉलेजों से आये दर्शक और प्रतिभागी मुख्य मंच के सामने एकत्रित होने लगे. कार्यक्रम की शुरुआत इलाहबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रंजित यादव के काव्य पाठ से हुई. कालेज आकर एक छोटे साक्षात्कार के बाद अपनी कविताओं की वजह से युवा दिलों पर राज करने वाले डा. कुमार विश्वास स्टेज पर उपस्थित हुए. इससे पहले मेरे एक प्रश्न कि- आप लगभग कब तक बोलना पसंद करेंगे? के जवाब में उन्होंने ऐसा कहा कि " जबतक audience चाहेगी" और कुछ ऐसा हुआ भी. लगभग दो घंटे से भी ज्यादा देर तक चले इस स्टेज शो में उन्होंने ऐसा समां बांधा कि तालियों की गूंज से पूरा कैम्पस गूंज उठा. यहाँ उपस्थित लोगों  का जोश देखते ही बन रहा था.   उनके जाने के बाद कालेज स्तर पर चुने गए कवियों ने भी उपस्थित लोगों को अपनी कविताओं के माध्यम से  बांधे रखा. कार्यक्रम की समाप्ति के बाद इसके  सफलता को लेकर बधाइयाँ मुझे  देर रात तक मिलती रहीं और हाल ही में इवेंट के प्रोमोशन के दौरान हुए मेरे एक्सीडेंट का दर्द धीरे-धीरे जाता रहा.
ग्रुप डांस और लेजर लाईट शो तीसरे दिन के कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण रहे. संगीत की उठती गिरती धुनों पर लेजर किरणों के विभिन्न रंग बड़ा ही मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे. मेलोडिका की कुछ व्यक्तिगत प्रस्तुतियों ने भी तीसरे दिन यहाँ उपस्थित लोगों का भरपूर मनोरंजन किया. इससे पहले कि डी.जे. नाईट के साथ पूरे कार्यक्रम के समाप्ति की घोषणा हो, उपस्थित गणमान्य लोगों ने मंच से अपने विचार रखे और यहाँ हुए विभिन्न तकनीकि और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र और कई अन्य आकर्षक उपहारों द्वारा सम्मानित किया. इस कार्यक्रम की धूम अभी कुछ दिनों तक कालेज परिसर में तो चलती ही रहेगी लेकिन एक बात तो निःसंदेह कहना चाहूँगा की इससे जुड़े अनुभव और यादें जीवन पर्यंत तक मन मस्तिष्क में बनी रहेंगी. 
अपने काव्य पाठों के द्वारा वर्तमान हिंदी कविता के मसीहा बन चुके डा.कुमार विश्वास से मिलकर और बात कर बहुत अच्छा लगा. दूसरे दिन के कार्यक्रम में  विशेष रूप से  निर्णायक मंडल के सदस्य के रूप में बुलाये गए जाने माने बाल कथा और वैज्ञानिक विषयों के लेखक जाकिर अली रजनीश जी से मुलाकात भी बहुत ही यादगार रही. उनसे और कुमार विश्वास जी से बातचीत  के कुछ अंश अगली पोस्ट के रूप में प्रकाशित करूँगा. आज के लिए बस इतना ही ....


धन्यवाद"

1 comment:

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

एक उम्दा और सफल कार्यक्रम के आयोजन की बधाई।
कवि कुमार विश्वास युवा दिलों की धड़कन और उनकी नब्ज पर गजब की पकड़ रखते हैं।