जन लोकपाल विधेयक और लोकपाल विधेयक को लेकर काफी हो हल्ला हो चुका अबतक. दोनों विधेयकों के प्रावधानों को पढने के बाद यह बात तो साफ़ है कि अन्ना हजारे समर्थित जन लोकपाल विधेयक जनता के उम्मीदों पर कहीं ज्यादा खरा उतरती है,लेकिन एक बात मुझे समझ में नहीं आती की जनसेवा के इन ठेकेदारों को यह बात इतनी देर से क्यों समझ में आई? और फिर इतना सब कुछ होने के बावजूद यक्ष प्रश्न यह है की क्या यह विधेयक हमारे उम्मीदों पर खरा उतर पायेगा????????????
एक सार्थक उत्तर की चाहत मै भी रखता हूँ.मुझे भी ख़ुशी है कि एक जन आन्दोलन सफल रहा और सरकार को जनता के सामने झुकना पड़ा. मुझे ख़ुशी है कि पिछले ४० सालों से सामाजिक कार्यों से जुड़े रहने वाले अन्ना हजारे को पहली बार इतनी बड़ी सफलता मिली जिसके वे हकदार थे,ठीक वैसे ही जैसे पिछले २१ सालों से क्रिकेट साधना में लगे सचिन तेंदुलकर को वर्ल्ड कप. ख़ुशी इस बात की भी है कि यह आन्दोलन इतना व्यापक रूप ले सका. लेकिन!!!!!!!!!!!!!!!!!
अनसन ख़त्म होने के एक दिन बाद ही समिति के सदस्यों को लेकर अपनों द्वारा हीं टांग खिंचाई शुरू हो गई है, कल तक जिस विधेयक को लेकर सरकार हाँ ना की स्थिति में थी आज उसके समर्थन में है और सारी मांगे मानने को कैसे तैयार है! इस आन्दोलन को जितने लोगों का समर्थन मिला वे खुद को भ्रष्टाचार से कितना अलग पाते हैं,कही यह जय प्रकाश नारायण के उस सफल आन्दोलन की तरह तो नहीं जो की अपनों की वजह से ही विरोधी को और मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया, कैंडल मार्च,धरना प्रदर्शन,आमरण अनशन इत्यादि कही फैशन का रूप ना ले लें आदि कुछ ऐसे सवाल है जिनको लेकर मन में संशय की स्थिति है. फिर भी एक भ्रष्टाचार मुक्त और उज्जवल कल तुम्हारा इन्तजार रहेगा.....
1 comment:
saubhagya na sab din sota hai
dekhe aage kya hota hai....?
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