आज हमारे समाज में तरह तरह के भेदभाव व्याप्त हैं | क्या हम लोगों ने कभी सोचा जो इस संसार में कुदरत की बनाई हुई चीज है वो कभी किसी के साथ कोई भेदभाव करती है ? अगर कुदरती चीजें कोई भेदभाव नहीं करती हैं तो हम भी तो उसी कुदरत के बनाये हुए हैं तो हम भेदभाव क्यूँ करते हैं ? अगर इस सवाल का जवाब किसी के पास हो तो कृपा करके वो मुझे सुझाये और अगर न हो तो वो इस दुनिया से भेदभाव को मिटने में मदद करे |
क्या कभी सुरज ने किसी से कहा कि तुम मेरी रोशनी के काबिल नहीं हो तो मै तुम्हे रोशनी नहीं दूंगा? क्या कभी नदी किसी प्यासे को अपना पानी पीने के लिए मन किया ? क्या कभी वृक्ष ने किसी पथिक को अपने छाया में विश्राम ना करने को कहा ? क्या कभी किसी फूल ने कहा कि मै तुम्हे सुगंध नहीं दूंगा ? क्या कभी हवा ने किसी को शीतलता देने से मना किया है? हमारे अनुसार सारे सवालों का जवाब एक अक्षर न होगा | जब कुदरत कि बनाई हुई कोई भी चीज भेदभाव नहीं कर रही है तो हम क्यूँ कर रहे हैं ?
नहीं भेद करती जब सूरज कि रश्मि
नहीं भेद करती जब बहती हवाएं
तो है भेद क्यूँ ये हमारे दिलों में
कोई आज आकार मुझे ये बताये
घटा भी बरसती है समता से सब पर
महक भी सुमन की सभी को लुभाए
तो फिर हम बटें क्यूँ हैं मजहब धरम में
कोई आज आकार मुझे ये बताये
ये चंदा और तारे चमकते सभी बिन
और पंछी का कलरव सभी को लुभाए
तो है भेद काले और गोरे का क्यूँ ये
कोई आज आकार मुझे ये बताये
कुदरत कभी भेद करती न हम में
तो हम भी उसी रीति को ही निभाए
न मेरी न तेरी ये सब की है धरती
आओ संग मिलकर यही गीत गायें
1 comment:
ब्लॉग पे पहली पोस्ट के साथ स्वागत है. लम्बे समय से ब्लॉग पे कुछ पोस्ट नही कर पा रहा था. उम्मीद करता हूँ कि ब्लॉग पे नई-नई पोस्टें आती रहेंगी.
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